दशहरा (विजयादशमी) पर निबंध



दशहरा हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है। दशहरा को विजयादशमी भी कहा जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है है। इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था।दशहरा पूरे देश में रावण पर राम की जीत के सम्मान में मनाया जाता है। यह त्योहार हरेक साल दीपावली के 20 दिन पहले यानि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर माह में आता है।

दशहरा पर्व देश के विभिन्न भागों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। दशहरा पर्व में लगभग हर शहर में मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में कई जगह रामलीला का मंचन भी किया जाता है। मेले के अंतिम दिन खुले मैदान में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले का दहन किया जाता है।

इस त्योहार में दुर्गा मां की पूजा भी की जाती है। बहुत सारे लोग दुर्गा माता की पूजा के लिए पूरे नौ दिन व्रत रखते हैं। कुछ लोग पहले और आखिरी दिन ही व्रत रखते हैं। दुर्गा माता की नौ दिन की पूजा को नवरात्रि भी कहा जाता है और दसवें दिन विजयादशमी मनाया जाता है। विजयादशमी नाम इसलिए पड़ा क्योंकि इसी दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर नामक असुर का वध किया था।

दशहरे के मेले में सभी उम्र के लोगों को घूमने में काफी मजा आता है। मेले में लोग नए-नए कपड़े पहन कर शाम को घूमने जाते हैं और मेले में अच्छे-अच्छे खाना खाते हैं। दशहरे के दिन रावण का पुतला जलता हुआ देखने के लिए काफी भीड़ उमड़ पड़ती है। जब रावण जलता है तो उससे कई तरह की आतिशबाजी होती है जिसे देखकर सभी लोग बड़े खुश हो जाते हैं। दशहरे के दिन लोग अपने परिवारवालों, मित्रों और दूर के रिश्तेदारों से मिलते हैं और मेलजोल बढ़ाते हैं।

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