बसंत पंचमी (सरस्वती पूजा) पर निबंध



बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। मां सरस्वती को विद्या की देवी भी कहा जाता है। यह पूजा माघ महीने के शुक्ल पंचमी के दिन मनाया जाता है। यह पर्व जनवरी या फरवरी माह में आता है। सरस्वती पूजा के दिन विद्यार्थी और बहुत सारे लोग मां सरस्वती की वंदना करते हैं। बहुत सारे स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में मां सरस्वती की प्रतिमा बैठाई जाती है और पूजा की जाती है। छात्र और छात्राएं सरस्वती पूजा के दिन सुबह-सुबह नहा-धोकर मां सरस्वती की पूजा करते हैं और फिर प्रसाद ग्रहण करते हैं।

इस दिन बहुत सारे लोग सभी जगहों पर जाकर मां सरस्वती की प्रतिमा का दर्शन करते हैं। स्कूल में सरस्वती पूजा का आयोजन भव्य तरीके से किया जाता है। इसमें सभी शिक्षक एवं छात्र-छात्राएं बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं और आने वाले सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण करते हैं। सरस्वती पूजा में छात्र-छात्राएं मां सरस्वती से अधिक से अधिक विद्या प्राप्त करने की विनती करते हैं।

आजकल ऐसा देखा गया है कि सरस्वती पूजा में बहुत सारी जगहों में पांडाल लगाए जाते हैं और वहां गाने बजाए जाते हैं और गानों पर बहुत सारे स्टूडेंट डांस करते हैं। इससे इस पूजा की प्रतिष्ठा धीरे-धीरे गिरती जा रही है। छात्र-छात्राएं और अभिभावकों को यह चाहिए कि वह इस पूजा की पवित्रता को बनाए रखें।

सरस्वती पूजा में सरस्वती जी की प्रतिमा एक या दो दिन के लिए बैठाई जाती है और फिर पूजा के दूसरे या तीसरे दिन प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। विसर्जन के समय बहुत सारे लोग सड़कों पर जा रही सरस्वती जी की प्रतिमा को देखते हैं और नमन करते हैं। बहुत सारे स्टूडेंट काफी हर्षोल्लास के साथ मूर्ति का विसर्जन करते हैं।

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