कई सारे गरीब लोग कई वजहों से बचपन में पढ़ाई नहीं कर पाते हैं, ऐसे लोग जब बड़े हो जाते हैं तब भी वे अनपढ़ ही रहते हैं। पढ़े-लिखे नहीं होने की वजह से उन्हें रोजमर्रा के कामों में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उन्हें यह भी नहीं पता होता है कि सरकार ने उनकी भलाई के लिए कितने सारे स्कीम बनाए हुए हैं। पढ़े-लिखे नहीं होने के कारण उन्हें अपनी तरक्की का रास्ता पता नहीं होता है और अगर पता भी होता है तो उस पर चलना उनके लिए काफी मुश्किल भरा होता है । इन सभी दिक्कतों से छुटकारा पाने के लिए उन लोगों को पढ़ाना बहुत ही जरूरी होता है और बड़े लोगों को पढ़ाने को ही प्रौढ़ शिक्षा बोलते हैं।
पढ़ने-लिखने की कोई उम्र नहीं होती है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ बच्चे ही पढ़ाई-लिखाई कर सकते हैं, बड़े भी उतनी ही अच्छी तरीके से पढ़ाई-लिखाई कर सकते हैं और कुछ सीख सकते हैं। सरकार प्रौढ़ शिक्षा पर बहुत ज्यादा ध्यान दे रही है क्योंकि जब तक ऐसे लोग पढ़ेंगे नहीं तब तक समाज में तरक्की नहीं आ सकती है ।
प्रौढ़ शिक्षा की वजह से उन लोगों को बहुत ही ज्यादा फायदा होता है, जो नहीं पढ़ने की वजह से आगे नहीं बढ़ पाते हैं और उनमें आगे बढ़ने की ललक होती है। ऐसे लोग प्रौढ़ शिक्षा की मदद से फिर से पढ़ पाते हैं और शिक्षा पाने के बाद वह पढ़े-लिखे लोगों की कतार में आ जाते हैं। वह आसानी से जिस भी व्यवसाय से जुड़े हैं उन्हें अच्छे से आगे बढ़ा सकते हैं और पैसे भी ज्यादा कमा सकते हैं।
प्रौढ़ शिक्षा की वजह से लोग नई-नई चीजें भी सीख सकते हैं। एक बार उनमें शिक्षा आ जाने के बाद उनका सम्मान भी समाज में बढ़ जाता है। प्रौढ़ शिक्षा की वजह से कई सारे लोगों की गरीबी दूर हो जाती हैं। वे लोग अच्छे और बुरे में फर्क समझ पाते हैं। भारत की राजनीति में सकारात्मक रूप से भाग लेते हैं। वे यह समझ पाते हैं कि उन्हें किसे वोट देना चाहिए और क्यों देना चाहिए। वे लोग अच्छे नेता चुनकर देश के विकास में भागीदार बनते हैं। एक बार पढ़ना-लिखना सीखने के बाद उन्हें कोई बेवकूफ बनाकर उनसे कोई पैसे नहीं ढग सकता है। प्रौढ़ शिक्षा से हासिल ज्ञान की वजह से वे लोग अपनी तरक्की के लिए नए-नए रास्तों की तलाश करते हैं और दूसरों को रोजगार देने में भी मददगार साबित होते हैं।
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