बाल गंगाधर तिलक पर निबंध



बाल गंगाधर तिलक अंग्रेजों से भारत को आजाद करने के लिए लड़ने वाले पहले नेताओं में से एक थे। वे एक शिक्षक, वकील, स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे। बाल गंगाधर तिलक का जन्म महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के चिखली गाँव में हुआ था और उनकी शिक्षा भी महाराष्ट्र में ही हुई थी। वह पढ़ने में काफी कुशाग्र थे और उन्होंने वकालत की डिग्री भी हासिल कर ली। इन्हें लोकमान्य तिलक के नाम से भी जाना जाता था।

कांग्रेस की स्थापना के कुछ समय बाद ही बाल गंगाधर तिलक कांग्रेस से जुड़ गए और वहां से उन्होंने भारत को आजादी दिलाने के लिए संघर्ष करने लगे। उस समय बहुत ही कम लोग अंग्रेजों से लोहा लेने की हिम्मत दिखाते थे। लेकिन बाल गंगाधर तिलक काफी बहादुरी से भारत के लोगों की दुर्दशा को दूर करने के लिए अंग्रेजों की गुलामी के खिलाफ आवाज उठाने लगे।

बाल गंगाधर तिलक ने समाचार पत्र भी निकाला, जिसका नाम “मराठा दर्पण” और “केसरी” था और वह समाचार पत्र के माध्यम से लोगों को अंग्रेजों की राज की खामियां बताने लगे और वे लोगों को यह समझाने में सफल रहे कि कैसे अंग्रेजो के खिलाफ लड़ा जाए और आजादी लिया जाए।

बाल गंगाधर तिलक ने “स्वराज हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है ” का नारा दिया था। बाल गंगाधर तिलक से अंग्रेज भी डरने लगे थे और उन्हें छोटे-मोटे कारण दिखाकर जेल में बंद कर दिया और उन्हें काफी लंबे समय के लिए बर्मा की जेल में भेज दिया।

बाल गंगाधर तिलक ने हिंदुओं की ताकत बढ़ाने के लिए सार्वजनिक गणेश पूजा और विसर्जन की परंपरा की शुरुआत की। इसका मुख्य मकसद यह था कि लोगों में आपस में एकता बढ़े और अंग्रेजों से लड़ने में ताकत मिले। बाल गंगाधर तिलक भारत को आजादी दिलाने के लिए जीवन भर लड़ते रहे और 1 अगस्त 1920 ई. को मुम्बई में उनकी अचानक मृत्यु हो गई।

बाल गंगाधर तिलक से सारे नेताओं को काफी प्रेरणा मिली और वह देश की आजादी के लिए लड़ाई में कूद पड़े और अंत तक देश को अंग्रेजों से आजाद करके रहे। इस तरह से भारत की आजादी में बाल गंगाधर तिलक का अत्यंत योगदान है। वह भारत के एक महान नेता थे।

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