मेरा बचपन पर निबंध



मेरा बचपन मेरे जीवन का एक महत्वपूर्ण अध्याय था। अभी भी अपने बचपन की काफी याद आती है। मैं अपने बचपन में काफी खेलता-कूदता और पढ़ता-लिखता था। उस समय यह चिंता नहीं रहती थी कि पैसे कैसे कमाए जाए, नौकरी में तरक्की कैसे की जाए और ना ही भविष्य की चिंता थी।

मेरे बचपन में मेरे काफी सारे दोस्त थे। दोस्तों के साथ घंटों खेला करता था। बचपन के दोस्तों से बातचीत करके नई-नई चीजें सीखता रहता था। बचपन में ही मैंने साइकिल चलाना सिखा और तैरना भी सीखा। उस समय कुछ सीखने के लिए समय ही समय था। उस समय रोज सुबह-सुबह उठ जाया करता था और उठकर पढ़ाई करना शुरू कर देता था और फिर तैयार होकर स्कूल जाता था। स्कूल में रोज नई-नई चीजें सीखने को मिलती। स्कूल में बहुत ही अच्छे-अच्छे शिक्षक और शिक्षिकाएं थी। वे सभी काफी अच्छी चीजें बताया करते थे। स्कूल में मिली वह सारी सीख आज भी हमारे काम आ रही है। स्कूल से आने के बाद अपने दोस्तों के साथ मैदान में खेला करते थे और फिर शाम को घर आकर खूब पढ़ाई करते।

मेरे बचपन में मेरे माता-पिता ने मेरा बहुत अच्छे से ख्याल रखा और कई सारी जरूरतों को पूरा किया। बचपन में ही हम परिवार के महत्व को समझ पाए और एक दूसरे की मदद कैसे की जाती है वह जान पाए। बचपन में ही हमें दुनिया के बारे में सभी लोगों से पता चला और यही सीख धीरे-धीरे काम आने लगी।

बचपन में जब भी गर्मी छुट्टी होती तो फिर मैं अपने पूरे परिवार के साथ दादा-दादी और नाना-नानी के साथ गांव में रहता और गांव में कई सारी नई चीजों के बारे में जानता और मजे से रसदार फल खाया करता था। जब भी अगल-बगल कोई मेला लगता तो हमलोग पूरे परिवार के साथ मेले में जाते और मेले का आनंद लेते और नई-नई चीजें खाते।

बचपन में ही जब भी मैं यात्रा करता तो सब चीज जानने की जिज्ञासा रहती थी और आसपास के सभी चीजों को जानने के लिए परिवार के लोगों से पूछता रहता था और वे सब मेरी मदद करते थे।

हमारे बचपन में मोबाइल कंप्यूटर यह सब नहीं था, हम लोग सिर्फ टेलीविजन या फिर सिनेमा हॉल जाकर मनोरंजन करते थे। बचपन में मुझे घूमना काफी ज्यादा पसंद था। बचपन में मैं घर में बने हुए तरह-तरह के पकवान खाया करता था जिसकी याद अभी भी आती है।

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