टाइफाइड बुखार एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है। इसे मियादी बुखार भी कहा जाता है। यह संक्रमण के कारण होता है। टाइफाइड बुखार संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने से भी फैल सकता है। प्रारंभिक चरण में ही टाइफाइड बुखार का उपचार करा लेना चाहिए। अगर टाइफाइड बुखार का उपचार तुरंत नहीं किया जाये तो यह जानलेवा भी हो सकता है। टाइफाइड बुखार का उपचार के लिए डॉक्टर आमतौर पर बैक्टीरिया को मारने के लिए एंटीबायोटिक दवा लेने का सलाह देते है।
टाइफाइड बुखार के कारण –
टाइफाइड साल्मोनेला टाइफी (एस टाइफी) बैक्टीरिया से संक्रमण के कारण होता है। यह बैक्टीरिया दूषित भोजन और दूषित पानी के माध्यम से शरीर में प्रवेश करती है और खून के माध्यम से आंतों में फैल जाती है। यह बैक्टीरिया रक्त के माध्यम से लिवर, लिम्फ नोड्स, पित्ताशय की थैली और शरीर के अन्य भागों में घूमते रहता है। टाइफाइड बुखार संक्रमित व्यक्ति के साथ सीधे संपर्क में आने से भी फैल सकता है।
टाइफाइड बुखार के लक्षण –
टाइफाइड के लक्षण समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ते है। टाइफाइड का लक्षण अक्सर रोगी को संक्रमण के एक से तीन सप्ताह बाद दिखाई देते है।
पहले चरण में, टाइफाइड के लक्षण बुखार, सिरदर्द, पेट में दर्द, कमजोरी, थकान, दस्त, कब्ज और गले में खराश हो सकता है। आमतौर पर बच्चों को दस्त और वयस्कों को कब्ज की शिकायत रहती है। दूसरे सप्ताह के दौरान रोगी को पेट के ऊपरी हिस्से या सीने पर छोटे-छोटे दाने भी हो सकते है। यह दाने आमतौर पर कुछ ही दिनों में चले जाते है।
दूसरे चरण में, अगर टाइफाइड का उपचार तुरंत अच्छी तरह से नहीं किया जाए, तो व्यक्ति बहुत बीमार हो जाता है और रोग बढ़कर दूसरे चरण में प्रवेश कर सकता है। इसके लक्षण तेज बुखार, गंभीर दस्त, उल्टी, भूख न लगना, पेट फूलना, त्वचा पर चकत्ते और गंभीर कब्ज हो सकता है।
तीसरे चरण में, टाइफाइड के तीसरे सप्ताह में रोगी को आतों में अल्सर हो सकते है। आतों के अल्सर फट जाने पर रोगी को ऑपरेशन की जरूरत पड़ सकती है। इस चरण के दौरान गंभीर जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। यह कभी-कभी मौत का कारण भी बन सकता है।